Onkar Thakur

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मैं तुम्हें छूकर ज़रा-सा छेड़ देता हूँ, और गीली पाँखुरी से ओस झरती है। तुम कहीं पर झील हो, मैं एक नौका हूँ, इस तरह की कल्पना मन में उभरती है।
साये में धूप [Saaye Mein Dhoop]
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