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Kindle Notes & Highlights
पत्तों से चाहते हो बजें साज़ की तरह, पेड़ों से आप पहले उदासी तो लीजिए।
हाथों में अंगारों को लिये सोच रहा था, कोई मुझे अंगारों की तासीर बताए।
जैसे किसी बच्चे को खिलौने न मिले हों, फिरता हूँ कई यादों को सीने से लगाए।
आपके क़ालीन देखेंगे किसी दिन, इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं।
जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।
हमने सोचा था जवाब आएगा, एक बेहूदा सवाल आया है।
कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।
लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की, तुमने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो।
चट्टानों पर खड़ा हुआ तो छाप रह गई पाँवों की, सोचो कितना बोझ उठाकर मैं इन राहों से गुज़रा।
सहने को हो गया इकट्ठा इतना सारा दुख मन में, कहने को हो गया कि देखो अब मैं तुमको भूल गया।
मैं ठिठक गया था लेकिन तेरे साथ-साथ था मैं, तू अगर नदी हुई तो मैं तेरी सतह रहा हूँ।
मेरे दिल पे हाथ रक्खो, मेरी बेबसी को समझो, मैं इधर से बन रहा हूँ, मैं इधर से ढह रहा हूँ।
लफ़्ज एहसास-से छाने लगे, ये तो हद है, लफ़्ज माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है।
ख़ामोशी शोर से सुनते थे कि घबराती है, ख़ामोशी शोर मचाने लगे, ये तो हद है।