साये में धूप [Saaye Mein Dhoop]
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Read between September 26 - September 30, 2018
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पत्तों से चाहते हो बजें साज़ की तरह, पेड़ों से आप पहले उदासी तो लीजिए।
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हाथों में अंगारों को लिये सोच रहा था, कोई मुझे अंगारों की तासीर बताए।
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जैसे किसी बच्चे को खिलौने न मिले हों, फिरता हूँ कई यादों को सीने से लगाए।
70%
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आपके क़ालीन देखेंगे किसी दिन, इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं।
70%
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जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।
71%
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हमने सोचा था जवाब आएगा, एक बेहूदा सवाल आया है।
78%
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कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।
78%
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लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की, तुमने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो।
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सिर्फ़ शायर देखता है क़हक़हों की असलियत, हर किसी के पास तो ऐसी नज़र होगी नहीं।
Shalini Pandey
Jore ke hansi
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चट्टानों पर खड़ा हुआ तो छाप रह गई पाँवों की, सोचो कितना बोझ उठाकर मैं इन राहों से गुज़रा।
81%
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सहने को हो गया इकट्ठा इतना सारा दुख मन में, कहने को हो गया कि देखो अब मैं तुमको भूल गया।
82%
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मैं ठिठक गया था लेकिन तेरे साथ-साथ था मैं, तू अगर नदी हुई तो मैं तेरी सतह रहा हूँ।
83%
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मेरे दिल पे हाथ रक्खो, मेरी बेबसी को समझो, मैं इधर से बन रहा हूँ, मैं इधर से ढह रहा हूँ।
85%
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लफ़्ज एहसास-से छाने लगे, ये तो हद है, लफ़्ज माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है।
85%
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ख़ामोशी शोर से सुनते थे कि घबराती है, ख़ामोशी शोर मचाने लगे, ये तो हद है।