Geetansh Vivek

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अब सबसे पूछता हूँ बताओ तो कौन था, वो बदनसीब शख़्स जो मेरी जगह जिया। मुँह को हथेलियों में छिपाने की बात है, हमने किसी अंगार को होंठों से छू लिया।
साये में धूप [Saaye Mein Dhoop]
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