Rahul

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राजी राखता जग। मग कार्याची लगबग। ऐसे जाणोनि सांग। समाधाने करावी।। आरंभीच पडिली धास्ती। म्हणिजे कार्यभाग होय नास्ती। याकारणे समस्ती। बुधी शोधावी।। सकळ लोक एक करावे। गनिमा लाटून काढावे। येणे करिते कीर्ती धावे। दिगंतरी।। आधी गाजवावे तडाखे। तरी मग भूमंडळां धाके। ऐसे न होता धके। राज्यासी होती।। समय प्रसंग ओळखावा। राग निपटून सांडावा। आला तरी कळो न दावा। जनांमध्ये।। राज्यामध्ये सकळ लोक। सलगी देऊनी करावे एक। लोकांच्या मनामध्ये धाक। उपजो चि नये।। बहुत लोक मेळवावे। एक विचारे भरावे। कष्ट करूनि घसरावे। म्लेंछावरी।।
छावा
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