पाटांतील तुंब निघेना।। तरी मग पाणीच चालेना। तैसे जनांच्या मना। कळले पाहिजे।। जनांचा प्रवाहो चालिला। म्हणिजे कार्यभाग आटोपला। जन ठाई ठाई तुंबला। म्हणिजे खोटे।। श्रेष्ठी जे जे मेळविले। त्यासाठी भांडत बैसले। तरी मग जाणावे फावले। गनिमासी।। ऐसे सहसा करू नये। दोघा भांडण तिसऱ्या जय। धीर धरूनी महत्कार्य। समजोन करावे।।