उसे समझ नहीं आया कि उसकी कहानी का एंड क्या है। उसको पहुँचना कहाँ है? वो करना क्या चाहता है? सुधा अगर शादी के लिए मान जाती तो क्या वो एंड होता? सुधा से बच्चे होते तो क्या होता? उसके बच्चे बड़ा होकर बहुत अच्छा करते क्या वो एंड होता? ऑफिस में अपने दोस्तों जैसे दो-तीन घर बुक करवा लेता क्या वो एंड होता? शेयर में इन्वेस्ट करके लाखों कमा लेता क्या वो एंड होता? अपनी जिंदगी के बारे में किताब की तरह सोचने से समझ में आता है कि हम रोज कैसी टुच्ची जिंदगी जीने के लिए मरे जा रहे हैं।