मुसाफिर Cafe
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पहली बार के बाद हम बस अपने आप को दोहराते हैं और हर बार दोहरने में बस वो पहली बार ढूँढ़ते हैं।
26%
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“वो रिश्ते कभी लंबे नहीं चलते जिनमें सबकुछ जान लिया जाता है।”
27%
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“क्यूँकि मजाक करने से वो मोमेंट चला जाता है।”
34%
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इस दुनिया में जो कुछ भी महसूस करने लायक है उसे इस दुनिया के पहले आदमी औरत ने महसूस किया था और इस दुनिया के आखिरी आदमी औरत महसूस करेंगे।
42%
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“हमारे पास एक-दूसरे की यादें बहुत कम हैं।
55%
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आती हुई हर बात अच्छी लगती है, बातें, बारिश, धूप, समंदर सबकुछ।
55%
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केवल ट्रेन से जाने वाले ही स्टेशन पर बिछड़ नहीं रहे होते हैं बल्कि कई बार प्लेटफार्म की एक ही साइड पर लोग भी हमेशा के लिए बिछड़ रहे होते हैं।
56%
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एक हफ्ते में ही उन दोनों का रिश्ता ऐसा हो गया था जैसे बरसात में छाता जिसमें न पूरा भीगते बनता था न पूरा सूखते।
60%
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पुरानी जगहों पर इसलिए भी जाते रहना चाहिए क्यूँकि वहाँ पर हमारा पास्ट हमारे प्रेजेंट से आकर मिलता है। लाइफ को रिवाइंड करके जीते चले जाना भी आगे बढ़ने का ही एक तरीका है।
62%
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थोड़ा अजीब है लेकिन हमारी जिंदगी के कई असली केवल इसीलिए असली हैं क्यूँकि वो अभी तक नकली साबित नहीं हुए हैं।
64%
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शहरों की नापतौल वहाँ रहने वाले लोगों की नींद से करनी चाहिए। शहर छोटा या बड़ा वहाँ रहने वालों की नींद से होता है।
66%
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किसी को समझना हो तो उसकी शेल्फ में लगी किताबों को देख लेना चाहिए, किसी कि आत्मा समझनी हो तो उन किताबों में लगी अंडरलाइन को पढ़ना चाहिए।
67%
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‘यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीवनी लिखने लगे तो संसार में सुंदर पुस्तकों की कमी न रहे’।
67%
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चंदर पहली बार अपनी जिंदगी के बारे में किताब की तरह सोच रहा था। दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी
67%
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उसे समझ नहीं आया कि उसकी कहानी का एंड क्या है। उसको पहुँचना कहाँ है? वो करना क्या चाहता है? सुधा अगर शादी के लिए मान जाती तो क्या वो एंड होता? सुधा से बच्चे होते तो क्या होता? उसके बच्चे बड़ा होकर बहुत अच्छा करते क्या वो एंड होता? ऑफिस में अपने दोस्तों जैसे दो-तीन घर बुक करवा लेता क्या वो एंड होता? शेयर में इन्वेस्ट करके लाखों कमा लेता क्या वो एंड होता? अपनी जिंदगी के बारे में किताब की तरह सोचने से समझ में आता है कि हम रोज कैसी टुच्ची जिंदगी जीने के लिए मरे जा रहे हैं।
68%
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सुधा हमेशा कहती थी हमें केवल यादें याद नहीं आतीं बल्कि सबसे ज्यादा वो यादें याद आती हैं जो हम बना सकते थे।
72%
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“सपना छूट गया या टूट गया?” “सपने टूटते कम हैं छूटते ज्यादा हैं। बहुत तेज चलते हैं सपने।
72%
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इतने तेज कि याद ही नहीं रहता सपना देखा क्यूँ था।
73%
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“क्यूँकि शादी के बाद बिस्तर पर लेटने पर ऊपर पंखें की धूल दिखाई देती है, पंखें की हवा नहीं दिखाई देती।”
75%
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लाइफ को लेकर प्लान बड़े नहीं, सिम्पल होने चाहिए। प्लान बहुत बड़े हो जाएँ तो लाइफ के लिए ही जगह नहीं बचती।
82%
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जो भी रातें रोते हुए गुजरती हैं वो अगले दिन सुबह जरूर कुछ अलग लेकर आती हैं।
99%
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रास्ते केवल वो भटकते हैं जिनको रास्ता पता हो, जिनको रास्ता पता ही नहीं होता उनके भटकने को भटकना नहीं बोला जाता है।