पहली बार जब दो लोग सबसे करीब आए होंगे तो वो जरूर समंदर का किनारा रहा होगा, सूरज डूब रहा होगा। उन दोनों लोगों ने दिन को डूबने से पहले रोकने की पहली कोशिश की होगी। दिन को रोकने की कोशिश में वो मिलकर पहली बार एक हुए होंगे। ऐसा एक हुए होंगे कि सूरज ने डूबने के बाद 15-20 मिनट उजाला रखा होगा ताकि वो धुँधले उजाले में घुलकर शाम हो जाएँ। दुनिया तब से ऐसे ही रोज शाम को उन दो लोगों को खोजती है जो दिन को रोकना चाहते हैं। बस अब हमने उस दुनिया से इतर छोटी-सी बहुत सारी दुनिया बना ली है। इस नयी दुनिया से हमें फुर्सत नहीं है और उस दुनिया में कदम रखने की पहली शर्त है, फुर्सत।