Ghufran

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“आज के दिन के लिए मैंने न जाने कितने सालों से मेहनत की थी। जब आज वो मिल गया तो कुछ फील नहीं आ रहा। हमें जो कुछ भी मिल जाता है वो मिट्टी हो जाता है।”
मुसाफिर Cafe
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