जिनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता वो फैसले जल्दी ले लिया करते हैं। जिस दिन हमको ये समझ में आता है कि यहाँ हममें से किसी के भी पास जिंदगी के अलावा खोने को कुछ नहीं है, उस दिन हम अपनी जिंदगी का पहला कदम अपनी ओर चलते हैं। बाहर चलते-चलते हम करीब-करीब भूल ही चुके होते हैं कि हमारे अंदर भी एक दुनिया है।