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हवा खुश थी, ऑटो खुश था, सड़क खुश थी, शहर खुश था, चंदर थोड़ा-सा खुश था। चंदर की खुशी में थोड़ी-सी हिचकिचाहट बिखरी हुई थी।
हम यादें कहाँ रखते हैं ये तो खैर किसी को पता नहीं होता। काश! कि हम अपनी यादें समझ पाते। काश! कि हम जिंदगी समझ पाते, काश! कि हम मोमेंट थोड़ा लंबे टाइम तक पकड़ पाते।