हमारी असली यात्रा उस दिन शुरू होती है जिस दिन हमारा दुनिया की हर चीज से, हर रिश्ते से, भगवान पर से विश्वास उठ जाता है और यात्रा उस दिन खत्म होती है जिस दिन ये सारे विश्वास लौटकर हमें गले लगा लेते हैं। हम सब केवल किसी-न-किसी चीज में विश्वास करना सीखने के लिए पैदा होते हैं। भटकना मंजिल की पहली