Utkarsh Garg

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बस, ये आखिरी बात बोलकर आपके और कहानी के बीच में नहीं आऊँगा। कहानियाँ कोई भी झूठ नहीं होतीं। या तो वो हो चुकी होती हैं या वो हो रही होती हैं या फिर वो होने वाली होती हैं।
मुसाफिर Cafe
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