Utkarsh Garg

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उसके होंठों पर जो समंदर चिपका हुआ था वो अब चंदर के गाल और कान पर थोड़ा-थोड़ा बिखर गया था। चंदर को अपने गालों पर गीला-गीला समंदर, रेत, सुधा, सुधा की साँसें और मोमेंट महसूस हुए। ठीक इस मोमेंट चंदर को जिंदगी से कोई शिकायत नहीं थी।
मुसाफिर Cafe
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