Utkarsh Garg

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। वो दिन क्यूँ आकर क्यूँ चले जाते हैं पता नहीं चलता। वो न हमारी कहानी आगे बढ़ाते हैं न ही कुछ बताते हैं। उन दिनों को अगर जिंदगी से हटाकर देखो तब कुछ अधूरा रह जाता है और अगर जोड़ दो तो भी कहानी पूरी नहीं बनती। कभी-कभार उदास शामें, उदास बातें भी करते रहना चाहिए।
मुसाफिर Cafe
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