Utkarsh Garg

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चंदर को ‘उस चुड़ैल से तो अच्छे ही हो तुम’ वाली लाइन में से केवल ‘अच्छे ही हो तुम’ बार-बार सुनाई पड़ रहा था। ऑटो में बाहर से हवा आकर धीरे-धीरे चंदर के चेहरे से होते हुए सुधा के चेहरे को टटोलकर देख रही थी। हवा खुश थी, ऑटो खुश था, सड़क खुश थी, शहर खुश था, चंदर थोड़ा-सा खुश था। चंदर की खुशी में थोड़ी-सी हिचकिचाहट बिखरी हुई थी।
मुसाफिर Cafe
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