Utkarsh Garg

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चंदर और सुधा की बातें वैसी होती जा रही थीं जैसी एक स्टेज के बाद हो जाती हैं। जब बातों का कोई मतलब नहीं रह जाता, जब बातें बात बढ़ाने के लिए नहीं बस वक्त बढ़ाने के लिए की जाती हैं। दुनिया ने सालों से नयी बातें ढूँढ़ी नहीं है। बस हर बार बातें करने वाले लोग नए हो जाते हैं। इस दुनिया में जो कुछ भी महसूस करने लायक है उसे इस दुनिया के पहले आदमी औरत ने महसूस किया था और इस दुनिया के आखिरी आदमी औरत महसूस करेंगे। जिंदगी एक ऐसा राज़ है जो बिना जाने हर जेनेरेशन बस आगे बढ़ाते चले जाती है।
मुसाफिर Cafe
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