Utkarsh Garg

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चंदर को सुधा की ये पागलपन वाली बात छू गई। ये सुनकर वो चुप हो गया। बातें जो हमें अच्छी लगती हैं वो हमें धीरे-धीरे सहलाकर शांत कर देती हैं।
मुसाफिर Cafe
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