बातें किताबों से बहुत पहले पैदा हो गई थीं। हमारे आस-पास बातों से भी पुराना शायद ही कुछ हो। बातों को जब पहली बार किसी ने संभाल के रखा होगा तब पहला पन्ना बना होगा। ऐसे ही पन्नों को जोड़कर पहली किताब बनी होगी। इसीलिए जिंदगी को सही से समझने के लिए किताबें ही नहीं बातें भी पढ़नी पड़ती हैं।