Prem Lohana

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“यार समंदर के किनारे गीली मिट्टी पर चलते हुए लगता है कोई बस प्यार से गले लगा ले। प्यार गीली रेत जैसा ही तो होता है। कब पैर के नीचे से फिसल जाए पता नहीं चलता
मुसाफिर Cafe
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