More on this book
Community
Kindle Notes & Highlights
अपनी जिंदगी के बारे में किताब की तरह सोचने से कई सारे भ्रम दूर हो जाते हैं।
जिनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता वो फैसले जल्दी ले लिया करते हैं। जिस दिन हमको ये समझ में आता है कि यहाँ हममें से किसी के भी पास जिंदगी के अलावा खोने को कुछ नहीं है, उस दिन हम अपनी जिंदगी का पहला कदम अपनी ओर चलते हैं।
लाइफ को लेकर प्लान बड़े नहीं, सिम्पल होने चाहिए। प्लान बहुत बड़े हो जाएँ तो लाइफ के लिए ही जगह नहीं बचती।
कई चोटें इसलिए निशान छोड़कर जाती हैं ताकि हम अपनी सब गलतियाँ भूल न जाएँ। गलतियाँ सुधारनी जरूर चाहिए लेकिन मिटानी नहीं चाहिए। गलतियाँ वो पगडंडियाँ होती हैं जो बताती रहती हैं कि हमने शुरू कहाँ से किया था।
किसी भी चीज को हम सही से समझ ही तब सकते हैं जब हम उसको पाकर खो दें। पाकर पाए रहने वाले अक्सर चूक जाया करते हैं।
हमारी यादों का कुछ हिस्सा इतना काला होता है कि उस पन्ने को खोलते ही रात हो जाती है।
रास्ते केवल वो भटकते हैं जिनको रास्ता पता हो, जिनको रास्ता पता ही नहीं होता उनके भटकने को भटकना नहीं बोला जाता
हमारे सब जवाब हमारे पास खुद हैं, ये बात समझने के लिए अपने हिस्से भर की दुनिया भटकनी पड़ती ही है। बिना भटके मिली हुई मंजिलें और जवाब दोनों ही नकली होते हैं। वैसे भी जिंदगी की मंजिल भटकना है कहीं पहुँचना नहीं।