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Kindle Notes & Highlights
इंसानी कान एक ऐसे दरबान की तरह होता है जो हैसियत, औक़ात और मौक़े के हिसाब से सिर्फ़ चुनिंदा लोगों को अंदर आने की इज़ाज़त देता है और हर एक ग़ैर-ज़रूरी, ग़ैर-मामूली को दरवाज़ा भेड़ कर रुख़सत
अब्सट्रैक्ट चीज़ों में मतलब खोजना बेवकूफ़ी होती है
जब उनमें धीरे-धीरे हँसी रोकने की क़ाबिलियत आ जाए तो समझ लो कि बच्चे बड़े हो गए हैं।
कहानियाँ तभी लंबी होती हैं जब उसके किरदार थोड़े से बेवकूफ़ाना हों।