Akash Gupta

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प्रियतम! अब मुझे मालूम हो गया कि मेरी जिंदगी निरुद्देश्य है। जिस फूल को देखनेवाला, चुननेवाला कोई नहीं. वह खिलें तो क्यों? क्या इसीलिए कि मुरझाकर जमीन पर गिर पड़े और पैरों से कुचल दिया जाए?
Mansarovar - Part 2 (Hindi)
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