Vikrant

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और उनकी इस उदार वृत्ति का असर अज्ञात रूप से मालती पर भी पड़ता जाता था। अब तक जितने मर्द उसे मिले, सभी ने उसकी विलास-वृत्ति को ही उसकाया। उसकी त्याग-वृत्ति दिन-दिन क्षीण होती जाती थी; पर मेहता के संसर्ग में आकर उसकी त्याग-भावना सजग हो उठी थी। सभी मनस्वी प्राणियों में यह भावना छिपी रहती है और प्रकाश पाकर चमक उठती है। आदमी अगर धन या नाम के पीछे पड़ा है, तो समझ लो कि अभी तक वह किसी परिष्कृत आत्मा के संपर्क में नहीं आया। मालती अब अक्सर ग़रीबों के घर बिना फ़ीस लिये ही मरीज़ों को देखने चली जाती थी। मरीज़ों के साथ उसके व्यवहार में मृदुता आ गयी थी। हाँ, अभी तक वह शौक़-सिंगार से अपना मन न हटा सकती थी। रंग और ...more
Vikrant
Vilaas versus tyaag
गोदान [Godan]
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