Vikrant

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सरोज उत्तेजित होकर बोली -- हम पुरुषों से सलाह नहीं माँगती । अगर वह अपने बारे में स्वतंत्र हैं, तो स्त्रियाँ भी अपने विषय में स्वतंत्र हैं । युवतियाँ अब विवाह को पेशा नहीं बनाना चाहतीं । वह केवल प्रेम के आधार पर विवाह करेंगी । ज़ोर से तालियाँ बजीं, विशेषकर अगली पंक्तियों में जहाँ महिलाएँ थीं। मेहता ने जवाब दिया -- जिसे तुम प्रेम कहती हो, वह धोखा है, उद्दीप्त लालसा का विकृत रूप, उसी तरह जैसे संन्यास केवल भीख माँगने का संस्कृत रूप है । वह प्रेम अगर वैवाहिक जीवन में कम है, तो मुक्त विलास में बिलकुल नहीं है । सच्चा आनंद, सच्ची शांति केवल सेवा-व्रत में है । वही अधिकार का स्रोत है, वही शक्ति का उद्‌गम ...more
Vikrant
Marriage is for selfless service
गोदान [Godan]
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