ऐसे असाधारण कांड पर गाँव में जो कुछ हलचल मचना चाहिए था, वह मचा और महीनों तक मचता रहा । झुनिया के दोनों भाई लाठियाँ लिये गोबर को खोजते फिरते थें । भोला ने क़सम खायी कि अब न झुनिया का मुँह देखेंगे और न इस गाँव का । होरी से उन्होंने अपनी सगाई की जो बातचीत की थी, वह अब टूट गयी थी । अब वह अपनी गाय के दाम लेंगे और नक़द और इसमें विलंब हुआ तो होरी पर दावा करके उसका घर-दवार नीलाम करा लेंगे । गाँववालों ने होरी को जाति-बाहर कर दिया । कोई उसका हुक़्क़ा नहीं पीता, न उसके घर का पानी पीता है । पानी बंद कर देने की कुछ बातचीत थी; लेकिन धनिया का चंडी-रूप सब देख चुके थे; इसलिये किसी की आगे आने की हिम्मत न पड़ी

![गोदान [Godan]](https://i.gr-assets.com/images/S/compressed.photo.goodreads.com/books/1480617601l/33220021._SY475_.jpg)