दातादीन ने सुरती मलते हुए कहा -- कुछ सुना, सरकार भी महाजनों से कह रही है कि सूद का दर घटा दो, नहीं डिग्री न मिलेगी। झिंगुरी तमाखू फाँककर बोले -- पंडित मैं तो एक बात जानता हूँ। तुम्हें गरज पड़ेगी तो सौ बार हमसे रुपए उधार लेने आओगे, और हम जो ब्याज चाहेंगे, लेंगे। सरकार अगर असामियों को रुपए उधार देने का कोई बंदोबस्त न करेगी, तो हमें इस क़ानून से कुछ न होगा। हम दर कम लिखायेंगे; लेकिन एक सौ में पचीस पहले ही काट लेंगे। इसमें सरकार क्या कर सकती है। ‘यह तो ठीक है; लेकिन सरकार भी इन बातों को ख़ूब समझती है। इसकी भी कोई रोक निकालेगी, देख लेना।’ ‘इसकी कोई रोक हो ही नहीं सकती।’ ‘अच्छा, अगर वह शर्त कर दे, जब
दातादीन ने सुरती मलते हुए कहा -- कुछ सुना, सरकार भी महाजनों से कह रही है कि सूद का दर घटा दो, नहीं डिग्री न मिलेगी। झिंगुरी तमाखू फाँककर बोले -- पंडित मैं तो एक बात जानता हूँ। तुम्हें गरज पड़ेगी तो सौ बार हमसे रुपए उधार लेने आओगे, और हम जो ब्याज चाहेंगे, लेंगे। सरकार अगर असामियों को रुपए उधार देने का कोई बंदोबस्त न करेगी, तो हमें इस क़ानून से कुछ न होगा। हम दर कम लिखायेंगे; लेकिन एक सौ में पचीस पहले ही काट लेंगे। इसमें सरकार क्या कर सकती है। ‘यह तो ठीक है; लेकिन सरकार भी इन बातों को ख़ूब समझती है। इसकी भी कोई रोक निकालेगी, देख लेना।’ ‘इसकी कोई रोक हो ही नहीं सकती।’ ‘अच्छा, अगर वह शर्त कर दे, जब तक स्टाम्प पर गाँव के मुखिया या कारिंदा के दसख़त न होंगे, वह पक्का न होगा, तब क्या करोगे?’ ‘असामी को सौ बार गरज होगी, मुखिया को हाथ-पाँव जोड़ के लायेगा और दसखत करायेगा। हम तो एक चौथाई काट ही लेंगे।’ ‘और जो फँस जाओ। जाली हिसाब लिखा और गये चौदह साल को।’ झिंगुरीसिंह ज़ोर से हँसा -- तुम क्या कहते हो पंडित, क्या तब संसार बदल जायेगा? क़ानून और न्याय उसका है, जिसके पास पैसा है। क़ानून तो है कि महाजन किसी असामी के साथ कड़ाई न करे, कोई ज़मींदार किसी कास्तकार के साथ सख़्ती न करे; मगर होता क्या है। रोज़ ही देखते हो। ज़मींदार मुसक बॅंधवा के पिटवाता है और महाजन लात और जूते से बात करता है। जो किसान पोढ़ा है, उससे न ज़मींदार बोलता है, न महाजन। ऐसे आदमियों से हम मिल जाते हैं और उनकी मदद से दूसरे आदमियों की गर्दन दबाते हैं। तुम्हारे ही ऊपर राय साहब के पाँच सौ रुपए निकलते हैं; लेकिन नोखेराम में है इतनी हिम्मत कि तुमसे कुछ बोले? वह जानते हैं, तुमसे मेल करने ही में उनका हित है। असामी में इतना बूता है कि ...
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Debt & government regulation