Vikrant

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मेहता ने गर्व से कहा -- यह सब आप लोगों की दया है। और यह केवल तीन घंटों का परिश्रम है। राजा सूर्यप्रतापसिंह ने शायद ही किसी सार्वजनिक कार्य में भाग लिया हो; पर आज तो उन्होंने बे-कहे-सुने चेक लिख दिया! देश में जागृति है। जनता किसी भी शुभ काम में सहयोग देने को तैयार है। केवल उसे विश्वास होना चाहिए कि उसके दान का सद्व्यय होगा। आपसे तो मुझे बड़ी आशा है, मिस्टर खन्ना!
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गोदान [Godan]
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