Vikrant

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'हाँ दादा, भला वह बात भूल सकता हूँ। तुमने इतना न किया होता, तो तुमसे लड़ने के लिए कैसे बचा रहता। ' होरी को ऐसा मालूम हुआ कि हीरा का स्वर भारी हो गया है। उसका गला भी भर आया। 'बेटा, लड़ाई-झगड़ा तो जिंदगी का धरम है। इससे जो अपने हैं, वह पराये थोड़े ही हो जाते हैं। जब घर में चार आदमी रहते हैं, तभी तो लड़ाई-झगड़े भी होते हैं। जिसके कोई है ही नहीं, उसके कौन लड़ाई करेगा।' दोनों ने साथ चिलम पी। तब हीरा अपने घर गया, होरी अंदर भोजन करने चला।
Vikrant
Fights with loved ones
गोदान [Godan]
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