‘अच्छी बात है। मैं आपकी चुनौती स्वीकार करता हूँ। मैं अब तक आपको मित्र समझता आया था; मगर अब आप लड़ने ही पर तैयार हैं, तो लड़ाई ही सही। आख़िर मैं आपके पत्र को पँचगुना चन्दा क्यों देता हूँ? केवल इसीलिए कि वह मेरा ग़ुलाम बना रहे। मुझे परमात्मा ने रईस बनाया है। पचहत्तर रुपया देता हूँ, इसीलिए कि आपका मुँह बंद रहे। जब आप घाटे का रोना रोते हैं और सहायता की अपील करते हैं, और ऐसी शायद ही कोई तिमाही जाती हो, जब आपकी अपील न निकलती हो, तो मैं ऐसे मौक़े पर आपकी कुछ न कुछ मदद कर देता हूँ। किसलिए? दीपावली, दशहरा, होली में आपके यहाँ बैना भेजता हूँ, और साल में पच्चीस बार आपकी दावत करता हूँ, किसलिए? आप रिश्वत और
‘अच्छी बात है। मैं आपकी चुनौती स्वीकार करता हूँ। मैं अब तक आपको मित्र समझता आया था; मगर अब आप लड़ने ही पर तैयार हैं, तो लड़ाई ही सही। आख़िर मैं आपके पत्र को पँचगुना चन्दा क्यों देता हूँ? केवल इसीलिए कि वह मेरा ग़ुलाम बना रहे। मुझे परमात्मा ने रईस बनाया है। पचहत्तर रुपया देता हूँ, इसीलिए कि आपका मुँह बंद रहे। जब आप घाटे का रोना रोते हैं और सहायता की अपील करते हैं, और ऐसी शायद ही कोई तिमाही जाती हो, जब आपकी अपील न निकलती हो, तो मैं ऐसे मौक़े पर आपकी कुछ न कुछ मदद कर देता हूँ। किसलिए? दीपावली, दशहरा, होली में आपके यहाँ बैना भेजता हूँ, और साल में पच्चीस बार आपकी दावत करता हूँ, किसलिए? आप रिश्वत और कर्तव्य दोनों साथ-साथ नहीं निभा सकते।’ ओंकारनाथ उत्तेजित होकर बोले, -- मैंने कभी रिश्वत नहीं ली। राय साहब ने फटकारा -- अगर यह व्यवहार रिश्वत नहीं है तो रिश्वत क्या है, ज़रा -- मुझे समझा दीजिए? क्या आप समझते हैं, आपको छोड़कर और सभी गधे हैं, जो निःस्वार्थ-भाव से आपका घाटा पूरा करते हैं? निकालिए अपनी बही और बतलाइए, अब तक आपको मेरी रियासत से कितना मिल चुका है? मुझे विश्वास है, हज़ारों की रक़म निकलेगी। अगर आपको स्वदेशी-स्वदेशी चिल्लाकर विदेशी दवाओं और वस्तुओं का विज्ञापन छापने में शरम नहीं आती, तो मैं अपने असामियों से डाँड़, तावान और जुर्माना लेते क्यों शरमाऊँ? यह न समझिए कि आप ही किसानों के हित का बीड़ा उठाए हुए हैं। मुझे किसानों के साथ जलना-मरना है, मुझसे बढ़कर दूसरा उनका हितेच्छु नहीं हो सकता; लेकिन मेरी गुज़र कैसे हो? अफ़सरों को दावतें कहाँ से दूँ, सरकारी चंदें कहाँ से दूँ, ख़ानदान के सैकड़ों आदमियों की ज़रूरतें कैसे पूरी करूँ? मेरे घर का क्या ख़र्च है, यह शायद आप जानते हैं। तो क्या मेरे ...
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