Sagar Verma

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कितने मर्म जता जाती है बार-बार आकर हाला, कितने भेद बता जाता है, बार-बार आकर प्याला, कितने अर्थों को संकेतों से बतला जाता साक़ी, फिर भी पीनेवालों को है एक पहेली मधुशाला | 127
मधुशाला
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