Sagar Verma

74%
Flag icon
उस प्याले से प्यार मुझे जो दूर हथेली से प्याला, उस हाला से चाव मुझे जो दूर अधर-मुख से हाला; प्यार नहीं पा जाने में है, पाने के अरमानों में ! पा जाता तब, हाय, न इतनी प्यारी लगती मधुशाला
मधुशाला
Rate this book
Clear rating