Shashank

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अधरों पर हो कोई भी रस जिह्वा पर लगती हाला, भाजन हो कोई हाथों में लगता रक्खा है प्याला, हर सूरत साक़ी की सूरत में परिवर्तित हो जाती, आँखों के आगे हो कुछ भी, आँखों
मधुशाला
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