Shashank

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देख रहा हूँ अपने आगे कब से माणिक-सी हाला, देख रहा हूँ अपने आगे कब से कंचन का प्याला, ‘बस अब पाया !’ — कह-कह कब से दौड़ रहा इसके पीछे, किन्तु रही है दूर क्षितिज-सी मुझसे मेरी मधुशाला |
मधुशाला
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