A R Kushwaha

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बुरा सदा कहलाया जग में बाँका, मद-चंचल प्याला, छैल-छबीला, रसिया साक़ी, अलबेला पीनेवाला; पटे कहाँ से, मधुशाला औ’, जग की जोड़ी ठीक नहीं— जग जर्जर प्रतिदिन, प्रतिक्षण, पर नित्य नवेली मधुशाला
मधुशाला
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