Koustubh

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बड़े-बड़े परिवार मिटे यों, एक न हो रोनेवाला, हो जाएँ सुनसान महल वे, जहाँ थिरकतीं सुरबाला, राज्य उलट जाएँ, भूपों की भाग्य-सुलक्ष्मी सो जाए; जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधुशाला | 21
मधुशाला
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