Koustubh

48%
Flag icon
प्रति रसाल तरु साक़ी-सा है, प्रति मंजरिका है प्याला, छलक रही है जिसके बाहर मादक सौरभ की हाला, छक जिसको मतवाली कोयल कूक रही डाली-डाली हर मधुऋतु में अमराई में जग उठती है मधुशाला | 34
मधुशाला
Rate this book
Clear rating