Nishant Gupta

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वह हाला, कर शांत सके जो मेरे अन्तर की ज्वाला, जिसमें मैं बिंबित-प्रतिबिंबित प्रतिपल, वह मेरा प्याला, मधुशाला वह नहीं, जहाँ पर मदिरा बेची जाती है, भेंट जहाँ मस्ती की मिलती मेरी तो वह मधुशाला
मधुशाला
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