Nancy Pandey

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बड़े हो जाने के अपने दुःख थे। दुःख आदमी को बदल देता है। मैं हर कुछ समय में बदल रहा था पर मैं दुखी नहीं था। मैं लिख रहा था।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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