Pulakesh

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माँ बहुत देर तक नीलकंठ को खोजती रहती थीं। सुबह उठते ही पेड़–पेड़ खोजती रहतीं। नीलकंठ दिखते ही उस पेड़ के चक्कर काटतीं। और बुदबुदाती जातीं, ‘‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, मेरी बात राम से कहियो। राम सोए हो तो जगाकर कहियो’’।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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