Pawan Mishra

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‘जीवन में अकेलेपन की पीड़ा भोगने का क्या लाभ यदि हम अकेले में मरने का अधिकार अर्जित न कर सकें! किंतु ऐसे भी लोग हैं जो जीवन–भर दूसरों के साथ रहने का कष्ट भोगते हैं, ताकि अंत में अकेले न मरना पड़े।’
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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