Anuradha Mohankumar

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यह बिलकुल वैसा ही है जैसे देर रात चाय बनाने की आदत में मैं हमेशा दो कप चाय बनाता हूँ, एक प्याली चाय जो अकेलापन देती है वह मैं पसंद नहीं करता। दो प्याली चाय का अकेलापन असल में अकेलेपन का महोत्सव मनाने जैसा है।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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