ज़िदगी के खेल में हार जाने के बाद क्या होता है? मैं हार जाना चाहता हूँ। जीतने में मैं फिर एक लूप में ख़ुद को दिखता हूँ। क्या मैं अभी इसी वक्त हारा हुआ घोषित नहीं हो सकता। मुझे नहीं खेलना है। अगर हारकर भी हम इस खेल से बाहर नही हो सकते हैं तो जीतना तो एक भ्रम है। है ना?

![ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]](https://i.gr-assets.com/images/S/compressed.photo.goodreads.com/books/1480605409l/33216152._SY475_.jpg)