उन जगहों पर अब मेरी ही आवाज़ लौटकर मेरे पास आएगी। मेरी हर हरकत गूँजेगी मेरे ही कानों में। हमें सालों इंतज़ार करना होता है तब कहीं इस खाली जगह में हल्की–सी घास नज़र आने लगती है। फिर हम एक रात की किसी कमज़ोर घड़ी में वहाँ पेड़ लगा आएँगे और वह बहुत समय बाद एक हरा भरा घास का मैदान हो जाएगा। तब शायद हम कह सकेंगे कि वह अब जा चुकी