Sapna

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माँ–बाप दोनों की अपेक्षाओं का बोझ उठाने के लिए हमेशा कंधे कमज़ोर पड़ जाते। जब भी कंधों को सीधा करने की इच्छा होती मैं चल देता काया के घर के आस–पास कहीं।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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