Sapna

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मैं बहुत जल्दी किसी चीज़ को दफ्न नहीं कर पाता हूँ। इस मामले में शायद मैं हिंदू हूँ। मैं चीज़ों को जलाना पसंद करता हूँ, पूरे संस्कार के साथ। उन्हें कंधे पर कई दिनों तक ढोता हूँ। जलने के बाद उनकी गर्म राख से कई दिनों तक अपने हाथ सेंकता रहता हूँ। फिर राख से जली हुई हड्डियों को बीनकर उन्हें नदी में सिराने जाता हूँ। इन सबमें कई बार सालों लग जाते हैं।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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