Sapna

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इक़बाल भाई कुछ पॉट तोड़ देते थे। मैंने अपनी कुछ कहानियाँ फाड़ दी थीं और अंतिमा से फिर मैं कभी नहीं मिला। यह सारी बातें एक अंत देती हैं। इसमें एक असहजता है पर अंत सहज है।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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