Sapna

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मुझे यूँ भी अंत की हमेशा चिंता रहती थी। किसी भी कहानी को पढ़ते हुए मैं उसके अंत का बोझ अपने कंधे पर लिए हुए उसे पढ़ता।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
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