Shubham

48%
Flag icon
सुबह की राख में माँ को टटोलना, जो कहानी कल तक मुझे असह्य रूप से लंबी लग रही थी वह अभी इस राख में ख़त्म हो चुकी थी। इस राख में मैं माँ को ढूँढ़ रहा था। कभी वह मुझे अपने घर के बाहर खड़ी दिखतीं तो कभी लाल डलिया लिए मेरे लिए चॉक लाती हुईं, पर पकड़ में कुछ भी नहीं आता। सिर्फ़ राख।
ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
Rate this book
Clear rating