Rao Kuldeep Singh

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कार्नेलिया : अच्छा, अपनी परीक्षा दो, बताओ, तुम विवाहिता स्त्रियों को क्या समझती हो? सुवासिनी : धनियों के प्रमोद का कटा-छँटा हुआ शोभा-वृक्ष। कोई डाली उल्लास से आगे बढ़ी, कुतर दी .गयी। माली के मन से सँवरे हुए गोल-मटोल खड़े रही!
चन्द्रगुप्त
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